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Explained: A look at how lightning strikes, and why it kills

Lightning is a very rapid — and massive — discharge of electricity in the atmosphere, some of which is directed towards the Earth’s surface. (Photo: File) At least 30 people were killed in separate incidents of lightning in various parts of the country in the past 24 hours. While   Rajasthan reported 18 deaths , Uttar Pradesh recorded 12. Causalities have also been reported from Madhya Pradesh. Earlier in June,   20 persons were killed   in lightning strikes in three districts of south Bengal. Deaths due to lightning have become frequent in the country. In July last year,  40 people were killed  by lightning in Bihar in two separate incidents. So, why — and how frequently — does lightning kill in India? How common are deaths by lightning? More common than is sometimes realised in the urban areas. As a whole, India sees 2,000-2,500 lightning deaths every year on average. Lightning is the biggest contributor to accidental deaths due to natural causes. A few years ago, over 300 people wer
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6 Phenomenal Health Benefits of Ear Piercing You Should Definitely Know About ये आकस्मिक नहीं है महज़ सजना संवरना नहीं है कि आजकल लड़के भी बालियां पहने रहते हैं कई तो लम्बी चोटी भी धरे हैं।

कर्णवेध :  : कर्णवेध संस्कार का अर्थ होता है कान को छेदना। इसके पांच कारण हैं, एक- आभूषण पहनने के लिए। दूसरा- कान छेदने से ज्योतिषानुसार राहु और केतु के बुरे प्रभाव बंद हो जाते हैं। तीसरा इससे एक्यूपंक्चर होता जिससे मस्तिष्क तक जाने वाली नसों में रक्त का प्रवाह ठीक होने लगता है। चौथा इससे श्रवण शक्ति बढ़ती है और कई रोगों की रोकथाम हो जाती है। पांचवां इससे यौन इंद्रियां पुष्ट होती है। समझा जाता है अंतड़ियों और अंडकोष  स्वास्थ्य के लिए कन छेदन मुफ़ीद साबित होता। जबकि दस में से एक बालकों में शिशुओं में एक में अंडकोष सोजिश का अस्थाई दोष देखा जाता है।  आम तौर पर यह रोगप्रतिरोधन क्षमता (इम्युनिटी )में इज़ाफ़ा करता है। महिलाओं में मासिक स्राव (मासिक धर्म )मुश्किल दिनों को आसान बनाने वाला समझा गया है कर्ण  छेदन।  प्रजनन स्वास्थ्य के लिए अच्छा समझा गया है इस परम्परा को सांस्कृतिक बोध से तो यह जुड़ा ही है महिलाओं के।  प्रसव को सह्यक्रिया बनाता है एअर पियर्सिंग। महिला प्रजनन तंत्र के लिए वामाओं में वाम कर्ण का छेदन इसीलिए पहले किया जाता है सुश्रुत संहिता में इसका संकेत किया गया है।  पांच बरस की उम्र त

Body में खतरनाक कीटाणु, Black Fungus और White Fungus धीरे धीरे खा जाती है आंखे और फेफड़े

कोरोना में की रूप लेकर हमला कर रहा है। कोरोना की इस महामारी में अब ब्लैक फंगस ने  दस्तक दी है, जिसमें कोरोना ने तहलका मचा दिया है। फंगल संक्रमण का कहर भारत के कई राज्यों सामने आया है। ब्लैक फंगस आने के बाद केंद्र सरकार ने प्रभावित राज्यों से इसे महामारी घोषित करने का फैसला लिया है। कोरोना आंख नाक और मुंह से शरीर में प्रवेश करता है। यह भी आंखों से प्रवेश करता और आंखों को ही खा जाता है। ‘ब्लैक इंफेक्शन’ का इलाज खोजा नहीं गया इससे पहले ‘वाइट फंगस’ ने भी दस्तक दे दी है। डॉक्टर्स द्वारा बताया जा रहा है कि नया वाइट फंगस ब्लैक फंगस से भी ज्यादा खतरनाक है। क्योंकि वाइट फंगस केवल एक अंग नहीं, बल्कि फेफड़ों और ब्रेन से लेकर हर अंग पर हमला करता है। इसी के साथ यह नाखून, स्किन, पेट, किडनी, ब्रेन, प्राइवेट पार्ट और मुंह के साथ फेफड़ों को संक्रमित कर सकता है। ध्यान दें जरूरी नहीं है कि जो इस फंगस से संक्रमित हो वो कोरोना का भी शिकार हो। कोरोना मरीजों में ही यह हमला नहीं करता है बल्कि यह खुद ही फैलता है। फंगस के लक्षण कोरोना से लगभग मिलते-जुलते होते हैं, जैसे सांस फूलना या कई बार सीने में दर्द. इसके अ

DRDO Covid Drug 2DG Launched: आ गई कोरोना की पहली दवा 2DG, समझिए कैसे करेगी वायरस पर अटैक

  भारत समेत दुनिया के अधिकांश हिस्‍से में कहर बनकर टूटे कोरोना वायरस के लिए आखिरकार दवा आ गई है। 2-deoxy-D-glucose यानी 2डीजी नाम के इस ऐंटी-कोविड ड्रग को डिफेंस रिसर्च ऐंड डिवेलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO) के वैज्ञानिकों ने बनाया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री हर्षवर्धन ने इस दवा का पहला बैच (10,000 डोज) लॉन्‍च क‍िया। हाइड्रॉक्‍सी क्‍लोरोक्विन, रेमडिसिविर, आइवरमेक्टिन जैसी तमाम दवाओं के कोविड-19 पर असर को लेकर पिछले साल से ही रिसर्च चलती रही, मगर 2DG वो पहली दवा है जिसे ऐंटी-कोविड ड्रग कहा जा रहा है। जानिए कैसे काम करेगी 2 DG ये दवा काफी हद तक ग्‍लूकोज जैसी है, मगर ग्‍लूकोज नहीं है। दरअसल, वायरस शरीर में पहुंचते ही अपनी कॉपीज बनाना शुरू कर देता है, इसके लिए उसे ताकत चाहिए होती है जो ग्‍लूकोज से मिलती है। जब कोरोना मरीज को ये दवा दी जाएगी तो वायरस इस ग्‍लूकोज एनालॉग को लेगा और उसी में फंस जाएगा। नतीजा ये होगा कि वायरस अपनी कॉपीज नहीं बना पाएगा यानी उसकी ग्रोथ रुक जाएगी। फिलहाल इस दवा को सेकेंडरी मेडिसिन की तरह यूज करने की परमिशन दी गई है। यानी ये प्राइमरी दवाओं के सपोर

Covid -19 Pneumonia and all

TUESDAY, Jan. 12, 2021 (HealthDay News) -- Unlike regular   pneumonia , COVID-19 pneumonia spreads like many "wildfires" throughout the lungs, researchers say. This may explain why COVID-19 pneumonia lasts longer and causes more harm than typical pneumonia, according to the researchers at Northwestern Medicine in Chicago. The research team said that their aim is to make COVID-19 more like a bad cold. For the study, the team analyzed immune cells from the lungs of COVID-19 pneumonia patients and compared them to cells from patients with pneumonia caused by other viruses or bacteria. While other  types of pneumonia  rapidly infect large regions of the lungs, COVID-19 begins in numerous small areas of the lungs. It then uses the lungs' own immune cells to spread across the lungs over many days or even weeks. This is similar to how multiple wildfires spread through a forest, the study authors explained. As COVID-19 pneumonia slowly moves through the lungs, it leaves damaged l

कोरोना के नए स्ट्रेन से मरीजों को हो रहा कोविड निमोनिया, ये हैं लक्षण, जानें किसको सबसे ज्यादा खतरा

ध्यान दें: कोरोना के नए स्ट्रेन से मरीजों को हो रहा कोविड निमोनिया, ये हैं लक्षण, जानें किसको सबसे ज्यादा खतरा डॉक्टर शिवालक्ष्मी-अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्था (AIIMS )  वायरस की दूसरी लहर भारत पर कहर बनकर टूटी है। हर दिन काफी संख्या में लोग इस वायरस से संक्रमित हो रहे हैं। वहीं, देश के कई अस्पतालों में ऑक्सीजन की किल्लत और बेड्स की कमी लगातार देखी जा रही है। ऐसे में कई मरीजों को समय रहते इलाज न मिलने की वजह से उनकी जान भी जा रही है। वहीं, कोरोना का नया स्ट्रेन जिन मरीजों को अपना शिकार बना रहा है, उनमें कोविड निमोनिया पाया जा रहा है। तो चलिए आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं। कोविड निमोनिया और निमोनिया में है ये फर्क आमतौर पर कोविड निमोनिया और आम निमोनिया एक जैसे ही होते हैं। लेकिन जिन लोगों को कोविड निमोनिया होता है उनके दोनों फेफड़ों में इंफेक्शन होता है। वहीं, आम निमोनिया वाले मरीजों में ज्यादातर इंफेक्शन एक फेफड़े में होता है। कोविड निमोनिया की पहचान डॉक्टर सीटी स्केन और एक्स-रे के जरिए कर लेते हैं। ये हैं लक्षण कोविड निमोनिया के लक्षण भी आम निमोनिया जैसे ही होते हैं। इसमें