अमरीकी चिकित्सा संघ के विज्ञान पत्र JAMA Pediatrics में सद्य प्रकाशित एक दीर्घावधिक अध्ययन के नतीजे बतलाते हैं ,जिन शिशुओं को रोगग्रस्त होने पर एंटीबीओटिक्स दवाएं दी गईं बाल्यकाल में उनके कई किस्म की एलर्जीज़ की गिरिफ्त में आने की संभवाना बढ़ी हुई मिली। अध्ययन के तहत जो २००१ से २०१३ तक की अवधि में जुटाए गये आकड़ों पर खड़ा था सात लाख अठ्ठानवें हज़ार चार सौ छब्बीस बालकों का रिकार्ड खंगाला गया। किस किसको कौन से समूह की एंटीबायोटिक दवाएं देने पर किस किस किस्म की एलर्जीज़ (प्रत्युर्जातमक प्रतिक्रियाओं )हुई इसका लेखा जोखा तैयार करने पर चौंकाने वाले नतीजे सामने आये :
पता चला इनमें से कुल १७ फीसद शिशुओं को एक या एक से ज्यादा एंटीबायोटिक दवायें दी गईं।
पता चला इनमें अनफिलैक्सिस ,एस्मा ,खाद्यों से पैदा प्रत्युर्जातमक प्रतिक्रियाओं का ख़तरा बढ़ गया। अलावा इसके चमड़ी की एलर्जी डर्मेटाइटिस (अंत:त्वचा शोथ जिसमें चमड़ी लाल तथा दर्दीला हो जाती है )अन्य एलर्जीज़ भी मिलीं।नासिका शोथ राइनाइटिस एवं नेत्र श्लेष्मलसंक्रमण कंजक्टिविटिस की गिरिफ्त में भी बालगण आये। नेत्र संक्रमण में पलकें चिपक जातीं हैं आँखें दुखनी यही है।
पता चला प्रतिजैविकी पेंसिलिन से एलर्जीज़ का ख़तरा ३० फीसद ,मैक्रोलिडेस से २८ फीसद , सफालोस्पोरिंस से १९ फीसद तक बढ़ा वनिस्पत उन बालकों के जिन्हें शिशु अवस्था (०-२ बरस )के दरमियान प्रतिजैविकी दवाएं नहीं दी गईं थीं। न्यूयोर्क टाइम्स न्यूज़ सर्विस ने इस रिपोर्ट को प्रकाशित किया है।
पेन्सिलिन ,पेन्सिलिन विद बीटा-लैक्टामेस इन्हीबिटर ,सिफालोस्पोरिन ,सल्फोनामाइड तथा मैक्रोलाइड एंटीबीओटिक दवाएं शिशुओं को दी गईं थीं।
किन बालकों में एलर्जीज़ का ख़तरा बढ़ जाता है
पता चला इनमें से कुल १७ फीसद शिशुओं को एक या एक से ज्यादा एंटीबायोटिक दवायें दी गईं।
पता चला इनमें अनफिलैक्सिस ,एस्मा ,खाद्यों से पैदा प्रत्युर्जातमक प्रतिक्रियाओं का ख़तरा बढ़ गया। अलावा इसके चमड़ी की एलर्जी डर्मेटाइटिस (अंत:त्वचा शोथ जिसमें चमड़ी लाल तथा दर्दीला हो जाती है )अन्य एलर्जीज़ भी मिलीं।नासिका शोथ राइनाइटिस एवं नेत्र श्लेष्मलसंक्रमण कंजक्टिविटिस की गिरिफ्त में भी बालगण आये। नेत्र संक्रमण में पलकें चिपक जातीं हैं आँखें दुखनी यही है।
पता चला प्रतिजैविकी पेंसिलिन से एलर्जीज़ का ख़तरा ३० फीसद ,मैक्रोलिडेस से २८ फीसद , सफालोस्पोरिंस से १९ फीसद तक बढ़ा वनिस्पत उन बालकों के जिन्हें शिशु अवस्था (०-२ बरस )के दरमियान प्रतिजैविकी दवाएं नहीं दी गईं थीं। न्यूयोर्क टाइम्स न्यूज़ सर्विस ने इस रिपोर्ट को प्रकाशित किया है।
पेन्सिलिन ,पेन्सिलिन विद बीटा-लैक्टामेस इन्हीबिटर ,सिफालोस्पोरिन ,सल्फोनामाइड तथा मैक्रोलाइड एंटीबीओटिक दवाएं शिशुओं को दी गईं थीं।
किन बालकों में एलर्जीज़ का ख़तरा बढ़ जाता है
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