२०१४ के सिर्फ चार साल बाद एक बार फिर २०१८ में विश्वस्वास्थ्य संगठन ने फालिज की चपेट में ले आने वाले रोग पोलियो को एक आलमी आपदा घोषित कर दिया है। बेशक १९८८ में पोलियो दुनियाभर के १२५ देशों के लिए एक महामारी बना हुआ था जो हर बरस दो लाखपचास हज़ार नौनिहालों को चपेट में ले रहा था ,आज भले दुनिया भर में इसके कुल २७ मामले ही दर्ज़ हुए हैं जो गत वर्ष के २२ मामलों से पांच ही ज्यादा हैं। लेकिन रोग का इस तरह बने रहना एक रुख की और संकेत करता है जो भविष्य के लिए शुभ नहीं है। आशंका है यह एक बार फिर आलमी स्तर की महामारी बन सकता है। पुरानी कहावत है दुश्मन को कभी कमज़ोर नहीं समझना चाहिए। और यह भी कि दूध का जला छाछ को भी फूंक फूंक के पीता है। विश्वस्वास्थ्य संगठन ने आशंका जतलाई है ,मीसल्स (measles )की तरह यह रोग भी फिर से अपना सर दुनिआभर में उठा सकता है। गौर तलब है भूमंडलीय स्तर पर मीसल्स (मीज़ल्स ,measles )ने गत वर्ष (२०१७ ) एक लाख दस हज़ार लोगों को मौत के मुंह में सुला दिया था। इसके विषाणु की तीन किस्में पोलियो टाइप १ ,पोलियो टाइप २ ,पोलियो टाइप ३ बतलाई गेन हैं। इन से ...