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अप्रैल, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

इस दवा विराफिन का टीका लगने के हफ्ते बाद चर्चित आरटीपीसीआर परीक्षण के नतीजे नेगेटिव मिलें हैं। इसे ९१. १५ फीसद कारगर पाया गया है। यह अन्य वायरल संक्रमणों पर भी काम करेगी। डॉ शर्विल पटेल बधाई के पात्र है जिन्होंने यह खबर न्यूज़ चैनलों के माध्यम से दी है। आप जायडस कैडिला के प्रबंध निदेशक है।

https://blog.scientificworld.in/2021/04/zydus-receives-emergency-use-approval.html मुद्दई लाख बुरा चाहे तो क्या होता है  विघ्नसंतोषी राहुल -ममता -केजरीवाल सोच के लोग लाख सही आखिर में कोविड  के  बहरूपिया प्रतिरूपों के खिलाफ यह जंग भारत ही जीतेगा।हर्ष का विषय है दवा निर्माता निगम जाइडस कैडिला ने इसके खिलाफ एक कारगर दवा की आज़माइशें कई चरणों में कामयाबी के साथ  संपन्न कर ली हैं ,उम्मीद है ये दवा जो हफ्ते भर में संक्रमित हो चुके लोगों को ब्रितानी ,दक्षिण अफ़्रीकी ,डबल म्युटेंट इंडियन वेरिएंट तथा अन्य सभी प्रतिरूपों से मुक्त कर देगी नीरोग बना देगी।दवा को महा -नियंत्रक भारत सरकार (ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ़ इंडिया )से  मंजूरी मिल गई है।  टीके के रूप में ये वेक्सीन अस्पतालों के माहिरों की सिफारिश के बाद ही मरीज़ को लगाईं जाएगी।मझोले एवं उग्र लक्षणों से ग्रस्त मरीज़ों भी  को ये वेक्सीन हफ्ते भर में विषाणु मुक्त कर देगी।  ग़ौर तलब है कोवेक्सीन और कोविशील्ड वेक्सीन संक्रमण से पहले लगाईं जाती हैं  बचावी टीके के रूप में ताकि फिर भी संक्रमण की चपेट में आने पर किसी की मृत्यु न होने पाए ,टीके के बाद संक्रमण

पता चला ६५ इंटरफेरॉन स्टिमुलेटिंग जींस सार्स -कोव -२ संक्रमण को नियंत्रित करते हैं इनमें से चंद कोशिकाओं में घुसपैठ को भी रोक सकते हैं। आनुवंशिक पदार्थ आरएनए के निर्माण का शमन कर सकते हैं। यह मॉलिक्यूल ही तो विषाणु के लिए संजीवनी लाइफ़ ब्लड है विषाणु का

भारतीय मूल के एक अमरीकी विज्ञानी ने जीवन खंडों , इकाइयों (genes )के एक ऐसे समूह का पता लगाया है जो कोविड -१९ संक्रमण से सुरक्षा प्रदान करने में रणनीति बनाने में कारगर साबित हो सकता है।  इस समूह को इंटरफेरॉन स्टिमुलेटिंग जींस कहा गया है। आप स्टैनफोर्ड बर्नहम प्रबिस मेडिकल डिस्कवरी इंस्टिट्यूट के निदेशक एवं प्रोफ़ेसर  हैं। आपका नाम है सुमित कुमार चंदा यहां चलने वाले इम्युनिटी एन्ड पैथोजेनेसिस प्रोग्रेम में आप लीड रिसर्चर हैं। आपने यह जानने की कोशिश की है कि किस प्रकार यह घुसपैठिया वायरस घुसपैठ के बाद मानवीय कोशिकाओं का शोषण करता है।  'मोलीकुलर सेल 'जर्नल में प्रकाशित अपने शोध-  पत्र में कहा :हम इस विषाणु की दुखती नस पे हाथ रखके बूझना चाहते हैं कि कैसे इसकी काट के लिए एक आदर्श एकदम से कारगर विषाणु -प्रतिरोधी एंटी -वायरल्स तैयार किये जाए।   कौन सी है वह जीवनखण्डों की टोली जो इस विषाणु से पैदा संक्रमण को लगाम लगा सकती है। इससे रोग की गंभीरता और उससे पार पाने इलाज़ में सहायता मिलेगी।  समझा जाता है ये टोली उन जीवनकाइयों से ताल्लुक रखती है जो प्रतिरक्षातंत्र  का अग्रिम मोर्चा संभाले रखने